सुनों पा, चिट्ठी ज़रूर पढ़ लेना ।
प्रणाम पा
नहीं जानता कि यह चिट्ठी भेजूंगा किस पते पर मगर फिर भी लिखना ज़रूरी है । आप तो जानते हैं ना कि बातें ना बोलूं, दिल ना खोलूं, जी भर ना रो लूं तब तक एक भारीपन्न रहता है मेरे मन पर । आपको तो पता है कितनी दफ़ा तो रोया हूँ आपके पैरों से लिपट कर । और वैसे भी सब कहते हैं आप आस पास ही हैं हमारे, तो चिट्ठी पढ़ भी लेंगे ही ।
आज 9 जून है, आपकी और माँ के शादी की 27वीं वर्षगांठ । याद है आपको कैसे आप हमारी wishes का इंतज़ार किया करते थे और जब हम सब आपको विश करते तो आपके उस रौबदार चेहरे पर हल्की सी शर्म की लकीर खिंच जाती और हल्की शर्म में डूबी हुई मुस्कुराहट उभर कर सामने आती थी । कसम से “पा” वो शर्म में डूबी हुई मुस्कुराहट मुझे हमेशा से बहुत भाती रही है । आपके बाद सबसे ज़्यादा मैने उसी मुस्कुराहट को याद किया । कितनी दुर्लभ भी तो थी वह शर्म घुली मुस्कुराहट क्योंकि सबने आपको गुस्से में देखा, खुल कर हंसते देखा, उदास होते देखा, हर तरह देखा मगर यूं हल्की सी शर्माहट के साथ मुस्कुराते हमारे सिवा किसी ने नहीं देखा होगा ।
और माँ, माँ के तो क्या कहने उसकी आँखों में तैरती खुशी को तो बस घंटों बैठ कर देखते रहने का मन करता था । मैने पहले भी कहा है कि माँ से मुझे तब प्यार हुआ था जब मैं प्यार का मतलब भी नहीं जानता था । बस उन्हें देखते रहना अच्छा लगता था । उनके चेहरे की वो खुशी जो हज़ार मुसीबतों और परेशानियों को सह कर भी बनी रही, बेहद कमाल थी ।
मगर पा आपके साथ वो मुस्कुराहट भी चली गई । आपके जाने के बादै मैने उसे भी नहीं देखा । बहुत ढूंढा उसकी जगह नई मुस्कुराहट ला कर देने की कोशिश की मगर उस मुस्कुराहट की बात ही अलग थी वह असली थी उसकी जगह नकली नहीं ले पाई । जैसे बेमौसम की बरसात सावन की बरसात की जगह नहीं ले सकती, जैसे लाखों रुपयों की सजावट में खुली प्रकृति के स्पर्श के अहसास की जगह नहीं ले सकती, जैसे हज़ारों वाट के बल्ब भी सूरज सी चमक नहीं दे सकते, जैसे हज़ारों नए गायक फिर से रफि साहब किशोर दा और लता दी का वो सुनहरा दौर वो रुहानी आवाज़ वापिस नहीं ला सकते, उनकी जगह नहीं ले सकते वैसे ही हम हज़ार मुस्कुराहटें कुर्बान करने के बाद भी वो आपकी मौजूदगी में खिलने वाली मुस्कुराहट वापिस ना ला पाए ।
पहले उसे ज़िंदगी जीना अच्छा लगता था मगर अब वो सिर्फ जी रही है । उसे अब कोई बार बार तंग नहीं करता यह कह कर कि “आज ये बनाओ आज वो बनाओ, नहीं नहीं इस सब्जी का टेस्ट उस दिन जैसा नहीं ।” उसे अब कोई अपने पुराने किस्से जो वो पहले सौ बार सुन चुकी हो कोई दोबारा नहीं सुनाता । अब कोई उसे बूढ़ी होने से नहीं रोक पा रहा पा । आप ही कहते थे ना कि “इसे बूढ़ी नहीं होने दूंगा, क्योंकि ये बूढ़ी हुई तो मैं भी बूढ़ा हो जाऊंगा और मुझे बूढ़ा होना पसंद नहीं ।” आप तो बूढ़े ना हुए मगर माँ आपको याद कर के रोज़ थोड़ा थोञा बूढ़ी होती जा रही है पा ।
कल वो चुपके से छुप कर थोड़ा थोड़ा रोएगी, कल अपने ठाकुर जी को फिर से कोसेगी और जब कोई सामने आ जाएगा तो ऐसे मुस्कुरा देगी जैसे कुछ हुआ ही नहीं । मैं जब फोन करूंआ तो र हैपी ऐनीवर्सरी कहूंगा तो जवाब में पक्का कहेगी “काहे की हैपी बेटा ।” मगर मुझे उदास होता महसूस करते ही कहेगी “अच्छा तुम सब हो तो हैपी ही है । थैंक्यू थैंक्यू ।” वो अब हमारे लिए जीती है वरना खास कोई वजह कोई इच्छा बची नहीं उसके पास ।
जानते हैं पा आप दोनों से मैने क्या सीखा है ? मैने आप दोनों से प्यार निभाना सीखा है । मैने सीखा है कैसे एक साथ रह कर थोड़े में बहुत खुश हुआ जाता है । मैने सीखा कैसे खूब सारा झगड़ कर अगले ही पल कैसे मान जाया जाता है ।
आपको शायद याद नहीं होगा क्योंकि उन दिनों आपका दिमाग हर बात याद भी नहीं रख पाता था । जानते हैं आप बिमार थे तो माँ आपकी सारी गंदगी साफ करती थी आपकी एक आवाज़ पर सारे काम छोड़ कर भागी आती थी । रात रात आपके सिरहाने जागती हुई देखा है मैने माँ को मगर फिर भी उसके चेहरे पर थकान और चिंता नज़र आती थी । अगर उसे आपकी सारी उम्र ऐसे ही सेवा करनी पड़ती तो वो खुशी खुशी कर लेती । मगर आप तो बञे निर्दयी निकले पा कैसे उसे रोता हुआ छोड़ कर चले गए ।
पा आज आपके विवाह की वर्षगांठ है । मैने पिछली बार भी आपसे कहा था अब भी कह रहा हूँ ज़्यादा कुछ नहीं बस एक बार माँ के सपने में घूम आईएगा । इसी बहाने वो आपको आज के दिन देख तो लेगी । और हाँ आपके जन्मदिन पर वो सपने वाली पोस्ट की थी ना तब निक्कू कह रहा था कि पा से कहना कभी हमारे सपने में भी चले आएं, बहुत याद आती है उनकी । हो सके तो घूम आईए सबके सपने में बहुत अच्छा लगेगा सबको । और हाँ खुश हो कर जाईएगा ।
आपको हम अब भी माँ के उदास चेहरे में ढूंढ लेते।हैं बस माँ ही हमें पहले जैसी नज़र नहीं आती । आप दोनों को विवाह के वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं । आप नहीं हैं मगर आपका प्यार हमेशा बना रहेगा । जहाँ रहें सुकून से और खुश रहें ।
आपके बेटे
धीरज झा Ankit Avinash